हिंदू धर्म संस्कृति संस्कारों पर कथा

भगवान शिव के विविध रूपों, अवतारों, ज्योतिर्लिंगों, भक्तों और भक्ति का विशद् वर्णन किया गया है। इसमें शिव के कल्याणकारी स्वरूप का तात्त्विक विवेचन, रहस्य, महिमा और उपासना का विस्तृत वर्णन है

हिन्दू धर्म में गृह प्रवेश बेहद महत्वपूर्ण और शुभ अनुष्ठान माना जाता है। गृह प्रवेश यानी कि नए घर में प्रवेश करने से पहले पूजा-पाठ करना। ऐसा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और घर में सुख-समृद्धि का भी आगमन होता है।

श्रीमद् भागवत कथा सुनने से आध्यात्मिक विकास और भगवान के प्रति भक्ति गहरी होती है तथा स्वयं की प्रकृति और परम वास्तविकता के बारे में सीख मिलती है

महर्षि वाल्मीकि रामायण कथा सुनने में पाठ करने से मुक्ति का मार्ग प्रशस्त होता है

राम कथा के ज्ञान की प्रारंभ स्वरूप प्राप्ति होती है। रामकथा सर्वोंपरि होने के संदेश के साथ ही हम संसार में जन्म-मरण रूपी भय का नाष करने वाली कथा है

शास्त्रों के अनुसार इस कथा को करने से व्यक्ति को हजार यज्ञ करने के बराबर पुण्य की प्राप्ति के साथ सभी प्रकार के दुखः दरिद्रता का नाष करते हुए सुख-शान्ति प्राप्त होती है

श्री शिव महापुराणा कथा के श्रवण मात्र से संतान प्राप्ति वैवाहिक जीवन की सुख-शांति, पाप मुक्ति एवं मनोकामना के साथ ही अंत में शिवलोक की प्राप्ति होती है

हर तरह का संकट मिटता है चाहे शारीरिक संकट हो चाहे मानसिक संकट हो आया हो। संकट कटे मिटे सब पीरा, जो सुमिरे जो हनुमत बलबीरा

इस एकादशी व्रत कथा को विधि पूर्वक करता है तो मनुष्य को धन-धान्य, सुख और समृ(ि की प्राप्ति के साथ ही अंत में विष्णु लोक की प्राप्ति होती है

उक्त पुराणों में अलग-अलग देवी देवताओं को केंद्र मानकर पाप और पुण्य, धर्म और धर्म, कर्म और अकर्म की गाथाएं कही गई है। इसमें सृष्टि के आरंभ अंत तक की बातें की गई है । पुराण का शाब्दिक अर्थ ही प्राचीन एवं पुराना

इसमें पुरातन ज्ञान-विज्ञान और भंडार होने के साथ ही मनुष्य के पीढ़ी दर पीढ़ी कल्याण की प्राप्ति होती है । वेदों में देवता, ब्रह्मांड ज्योतिष, गंधर्व औषधि विज्ञान, भूगोल, धर्म, संगीत, रीति-रिवाज आदि विषयों का ज्ञान प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है । चार वेद, 18 पुराण, महाभारत, रामायण और देवी देवताओं पद माला। वेद ही जो हमें धर्म-अधर्म की पहचान करने में सक्षम बनाते हैं । यह सब परमाात्म की वाणी है

इसमें मन मस्तिष्क में आध्यात्मिक बल मिलता है और बल बु(ि विद्या के दाता का गुणवान करना तो साथ में अपने स्वास्थ्य और पराक्रम का संचार होता है

सभी दोषों से मुक्ति तो मिलती है साथ ही आत्मविश्वास बढ़ता है । कार्यों में विघ्न-बाधाएं दूर होती है । दुख-दर्द दूर होने के साथ हनुमंत कृपा बरसती है

इस अवसर पर सूर्य देव की विधि पूर्वक पूजा-अर्चना करने के विधान से जीवन सफलता की प्राप्ति होती है। इसमें स्नान-दान करने वाले को भी विशेष महत्व है
सनातन अथवा हिंदू धर्म संस्कृति संस्कारों पर ही आधारित है । हमारे )षि-मुनियों ने मानव जीवन को पवित्र एवं मर्यादित बनाने के लिए संस्कारों का आविष्कार किया। धार्मिक ही नहीं वैज्ञानिक दृष्टि से भी संस्कारों का हमारे जीवन विशेष महत्व है। भारतीय संस्कृति की महानता से इन संस्कारों का महती योगदान है
उपरोक्त सभी कथाएं एवं प्रवचन, संकीर्तन,व्याख्यान आदि में धार्मिक, आध्यात्म, विज्ञान, विद्या शिल्प व कला चिकित्सा शास्त्र में पारंगत होने के लिए 16 संस्कारों का विशेष महत्व एवं योगदान होता है जिसे स्वयं ईश्वरी शक्तियां तथा शक्तिरूपा की प्रकृति से आड़े नहीं आ सकती हैं
है हमारे यहां सुप्रसि( कथा वाचक, विद्वानों द्वारा सभी प्रकार कथाएं, पूजा-पाठ-अनुष्ठान कराने के साथ ही – ज्योतिष, गणित, ज्ञान-विज्ञान, औषधीयों व प्रकृति दर्शन, धर्म, संगीत, रीति-रिवाज व सभी विषयों पर शिक्षा देने के लिए व्यवस्था है ।