हनुमान जी का जन्म:
हनुमान जी का जन्म अंजना माता और केसरि पिता के घर हुआ था। वे पवन देव के आशीर्वाद से उत्पन्न हुए, इसलिए उन्हें पवनपुत्र हनुमान भी कहा जाता है। इनका जन्म चैत्र शुक्ल पूर्णिमा के दिन माना जाता है। बचपन से ही उनमें अतुल बल, बुद्धि, और पराक्रम का अद्भुत संगम था।
बाललीला और सूर्य को निगलना:
एक दिन बाल हनुमान ने उगते हुए सूर्य को लाल फल समझकर निगल लिया, जिससे पूरी सृष्टि अंधकारमय हो गई। सभी देवता चिंतित हो गए। अंत में भगवान इन्द्र ने वज्र से हनुमान जी को घायल किया। इससे उनकी ठोड़ी (हनु) में चोट लगी और तभी से उनका नाम “हनुमान” पड़ा।
इस घटना के बाद देवताओं ने उन्हें अनेक वरदान दिए, जैसे:
- अजर-अमर रहने का वरदान
- अपार बल, बुद्धि और विवेक
- किसी भी प्रकार का भय न होना
- शत्रु संहारक शक्ति
श्रीराम से भेंट:
हनुमान जी की श्रीराम से पहली भेंट ऋष्यमूक पर्वत पर हुई, जहाँ वे श्रीराम और लक्ष्मण को उनके सेवक सुग्रीव से मिलाने ले गए। तभी से वे भगवान राम के अखंड भक्त, सेवक, और रणबांकुरे योद्धा बन गए।
लंका यात्रा और सीता माता की खोज:
हनुमान जी ने लंका जाकर माता सीता को श्रीराम का संदेश दिया। उन्होंने अशोक वाटिका में सीता माता से मिलकर रामकथा सुनाई और उन्हें आश्वासन दिया कि भगवान श्रीराम उन्हें शीघ्र ही रावण के बंदीगृह से मुक्त कराएँगे।
लंका में उन्होंने:
- अशोक वाटिका उजाड़ी
- रावण के पुत्र अक्षयकुमार को मारा
- अपना पुंछ जलाकर लंका को जला डाला
संजीवनी लाना:
लंका युद्ध के दौरान जब लक्ष्मण जी मूर्छित हो गए, तब हनुमान जी द्रोणगिरि पर्वत से संजीवनी बूटी लाए और लक्ष्मण को जीवनदान मिला। इस पराक्रम से पूरी वानर सेना में उत्साह आ गया।
हनुमान जी का चरित्र:
हनुमान जी शक्ति, भक्ति, सेवा, और विनम्रता के प्रतीक हैं। वे:
- ब्रह्मचारी हैं
- श्रीराम के चरणों में समर्पित भक्त हैं
- संकटों से रक्षा करते हैं
- दुष्टों का नाश करते हैं
- साधकों की मनोकामना पूर्ण करते हैं
हनुमान जी की भक्ति से लाभ:
- भय, रोग, शोक, क्लेश से मुक्ति
- शत्रु बाधा का नाश
- बुद्धि, बल और आत्मविश्वास की वृद्धि
- जीवन में विजय और सफलता
- कष्टों से सुरक्षा
हनुमान जी के प्रिय मंत्र:
॥ श्रीराम जय राम जय जय राम ॥
॥ ॐ हं हनुमते नमः ॥
॥ बजरंग बली की जय ॥
निष्कर्ष:
Hanuman Katha केवल वीरता की नहीं, बल्कि निस्वार्थ सेवा, श्रद्धा और भक्ति की अद्वितीय मिसाल है।
जो भक्त हनुमान चालीसा, सुंदरकांड और उनकी कथा का श्रवण करता है, वह जीवन में सभी प्रकार के संकटों से मुक्त होता है और उसे परम शांति प्राप्त होती है।