हिंदू धर्म में Ekadashi Vrat Katha का विशेष महत्व है। यह व्रत प्रत्येक माह की शुक्ल और कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है और माना जाता है कि इस दिन उपवास एवं भक्ति से भगवान श्रीहरि अत्यंत प्रसन्न होते हैं।
इस दिन उपवास, ध्यान, भजन-कीर्तन, और व्रत कथा के माध्यम से आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होता है। एकादशी व्रत पापों का नाश करता है और मोक्ष का द्वार खोलता है।
एकादशी व्रत की पौराणिक कथा:
पुराणों के अनुसार, एक बार राजा मान्धाता के राज्य में भयंकर अकाल पड़ा। न खेतों में अन्न उपज रहा था, न ही वर्षा हो रही थी। राजा ने अनेक उपाय किए, यज्ञ और हवन कराए, लेकिन समस्या जस की तस बनी रही। तब वे अंगिरा ऋषि के पास पहुँचे और उपाय पूछा।
अंगिरा मुनि ने कहा:
“हे राजन्! यह संकट आपके राज्य में पापों के बढ़ने के कारण आया है। इस समस्या का समाधान एकादशी व्रत है। आप और आपकी प्रजा यदि श्रद्धा से इस व्रत का पालन करेंगे, तो अवश्य ही वर्षा होगी और अकाल समाप्त होगा।”
राजा ने संकल्प लिया और पूरे राज्य में एकादशी व्रत करने का आदेश दिया। जब सभी ने श्रद्धा और नियमपूर्वक व्रत किया, तब मूसलधार वर्षा हुई, फसलें लहलहाईं, और प्रजा को राहत मिली। तब से एकादशी व्रत को संकटों से मुक्ति और पुण्य प्राप्ति का सर्वोत्तम उपाय माना गया।
व्रत करने की विधि:
- दशमी तिथि की रात को सात्विक भोजन करें।
- एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके व्रत का संकल्प लें।
- दिन भर भगवान विष्णु का स्मरण करें, पूजा करें, तुलसी पत्र अर्पित करें।
- फलाहार करें या निर्जल व्रत रखें (शक्ति अनुसार)।
- रात्रि को जागरण करें और भगवान का भजन करें।
- द्वादशी के दिन ब्राह्मण भोजन व दान करके व्रत का पारण करें।
व्रत में आवश्यक बातें:
- तामसिक भोजन, क्रोध, झूठ और निंदा से बचें।
- मन, वाणी और कर्म को पवित्र रखें।
- व्रत कथा का श्रवण या पाठ अवश्य करें।
निष्कर्ष:
Ekadashi Vrat Katha न केवल आध्यात्मिक शुद्धि का माध्यम है, बल्कि यह जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाता है। भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए यह व्रत अचूक उपाय है।जो भी श्रद्धा से इस व्रत को करता है, उसके सभी संकट दूर होते हैं और अंत में उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।