श्री प्रीतम घाम दशमेश घाट चेरिटेबल ट्रस्ट (रजि)

(देश, धर्म, प्रकृति पर्यावरण संरक्षण संवर्धन एवम मानव कल्याणार्थी)

देश

हमारा भारत का नागरिक होने के नाते देश के प्रति क्या-क्या दायित्व एवम् कर्तव्य हैं। इसके लिये बाल अवस्था से युवा, वृद्ध युवक, युवतियों महिला पुरुष सभी में जागरूकता पैदा करना तो है साथ हीसभी को देश के प्रति सजग रहने की आवश्यकता है। जिसमें मुख्य रूप से संविधान पालन करना, उसके आदर्शों और संस्थाओं, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्र गान का सम्मान करना प्रत्येक नागरिक कर्तव्य है। जिसमें स्वतन्त्रता, न्याय, समानता, बंधुत्व और संस्थाए अर्थात कार्यपालिका भी शामिल है। इसलिये हम सभी को संविधान की गरीमाम्बनाये रखना चाहिये। और ऐसी किसी भी गतिविधियों में शामिल नहीं होना चाहिये जो इसका अक्षरशः उल्लब्धंन करती हो इसलिये इसमें यह भी कहा गया है। कि यदि कोई नागरिक किसी प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष या गुप्त कृव्य द्वारा संविधान, राष्ट्र गान, या राष्ट्रीय ध्वज का अनादर करता है तो वह हमारे अधिकारों और संप्रभुता, राष्ट्रमै एकता अखण्डता, के साथ ही राष्ट्र के नागरिकों के आस्तत्व के लिये ठीक नहीं है। इसके लिये हर संघर्ष को तैयार रहना होगा!

धर्म

धर्म के प्रति हमारी आस्था, भाव एवम् कर्तव्यों को ध्यान में रखते हुये धर्म में पाखण्ड वाद, अन्धविश्वास के प्रति मनुष्य को सजग और जागरुक रहने की आवश्यकता पर काम करने की आज के परिवेश बहुत ही जरूरत आ पड़ी है। वेद, पुराण, महापुराण, ग्रंथों का अध्ययन आज के भागदौड के समय में कोई कर वहीं पाता है। ऐसे में कुछ लोग भ्रम फैलाने के अलावा अपने हिसाब से व्याख्या करते हुये देखे जा सकते हैं। प्रत्येक हिन्दु-चाहे वह स्त्री हो या पुरुष उच्च वर्ग, हो अथवा निम्न वर्ग, बाल हो अथवा अथवा वृद्ध का पुनीत कर्तव्य है। यूं तो सामान्य धर्म का आश्य है, कि जिसमें सभी धर्म समान लक्ष्य रखते हैं और वह है मनुष्य में सदगुणों का विकास करना उसे कल्याण की ओर प्रेरित करना है। हमारा सनातन, हिन्दु धर्म पाँच कर्तव्यों में सिमटा हुआ है  नम्बर-1 सन्ध्या उपासना, Date न० 2. उत्सव, (लीज त्यौहार) म तीर्थ, नाम संस्कार और न०- धर्म प्रचार इसमें हमारा मानना यह है, कि तीन विषयों को पीढ़ी दर पीढ़ी अथवा कुछ एक दूसरे की संगत के अनुसार सन्ध्या उपासना, उत्सव व तीर्थ तो एम आसानी से कर लेते हैं। किन्तु जहाँ संस्कार की बात आती है वह सब विधि-विधान से गर्भाधान संस्कार से लेकर विवाह आदि 16 प्रकार के संस्कार होते है वह विद्वान, पण्डित, पुरोहित द्वारा ही कराया जाता जाता है। है। अब हम बात करते हैं मण्ड, जिसमें धर्म प्रचार, धर्म के लिये है। और विशेष का मुरख्य धर्म बयाने कार्य है। धर्मो से सीख लेनी की आवश्यकता है। कारफ यहाँ अना मुस्लिम, ईसाई, पारसी धर्म के लोगों की बढ़ोतरी उनके अपने धर्म गुफ का जो यवहार वह प्रचार के समय केवल धर्म के हित में ही प्रचार करते जहाँ प्रचारक अपने हित में कोई प्रचार नहीं करते हैं। यहाँ साधु-सन्तु जैसे पहले धर्म का प्रचार करते थे तो लोकहित को ध्यान में रखकर करते थे। वह रोगी निरोगी भी करते थे। कष्ट निवारण का उपाय करते थे तो उसमें अपना कोई हित नहीं साधते थे। घधर्म प्रचार की विकृति को रोकना होगा। धर्म प्रचार के प्रकार अर्थात अर्थात धर्म प्रचारकों के कुछ ‌प्रकार निम्न हैं। समाचार, बालीवुड, ज्योतिष, लाईफ स्टाइल, धर्म संसार महामारत के किस्से, रामायण की कहानियाँ, रोचक, रोमांचक, धारा में रहने वाले लोग अन्य धर्म के मानने वाले लोगों की तरह सनातन धर्म के मानने वाले लोग घुमा-छुत, ऊँच-नीच, का भेद-भावू मुलाकर समय ईमानदारी से धर्म का प्रचार करें उसमें अपना हित, स्वार्थ, आदि तनिक भीन झलकता हो।

प्रकृति पर्यावरण संरक्षण-संवर्धन

पर्यावरण संरक्षण से वायु, जल बऔर भूमि प्रदुषण कम होता है। जैव विविधता की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये प्रर्यावरण संरक्षण का बहुत ही महत्व है। सभी सतत विकास के लिये पर्यावरण संरखाण अत्यन्त महत्वपूर्ण है। हमारे ग्रहों के ग्लोबल – वार्मिंग जैसे हानिकारक प्रभाव से बचाने के लिये प्रत्र्यावरण संरक्षण भी महत्वपूर्ण स्थान रखता है। घरों से निकलने वाले पुषित जल की साफ करने लिये बड़े-बड़े प्लांट लगाने की आवश्यकता पर जोर (द‌वाव) देना चाहिये। फैक्ट्रीयों, कारखानों को नदियों से दूर कर देना चाहिये। और सौर उर्जा को बढ़ावा देनाचाहिया से वन संरक्षण, पौधारोपण को बढ़ावा देना चहिये।

मानव कल्याणार्थ

मानव कल्याण की भावना रखने वाले प्रत्येक मनुष्य की सर्वप्रथम यह सोच होगी चाहिये की अपने बच्चों को तो शिक्षित बनाना ही है। साथ ही समाज, परिवार, देश के सभी बच्चे शिक्षित होने चाहिये और शिक्षा में ज्ञान, विज्ञान के साथ ही नैतिक शिक्षा पर जोर देने की आज बेहद आवश्यकता है। जब देश के बच्चे शिक्षित होगें तो अच्छे नागरिक होगें और अच्छे नागरिक ही मानव कल्याण की भावना रख सकते हैं। सरकार व गैर सरकारी संगठनों के सहयोग से देश के प्रत्येक नागरिक सशक्त हों, हर प्रकार से आर्थिक, सामाजिक, राजनितिक रूप से मजबूत नागरिक होगें तो स्वच्छ, साफ और स्वास्थ्य माहौल बनकर तैयार होगा तो स्वतः ही मानव कल्याण होगा।