• June 2, 2025
  • Ravi
  • Uncategorized
  • 0

हनुमान चालीसा हिन्दू धर्म का एक अत्यंत प्रसिद्ध स्तोत्र है, जिसे गोस्वामी तुलसीदास जी ने 16वीं शताब्दी में अवधी भाषा में लिखा था। यह 40 छंदों (चौपाइयों) का संग्रह है, जिसमें भगवान श्री हनुमान जी की महिमा, शक्ति, भक्ति और सेवाभाव का वर्णन किया गया है। ‘चालीसा’ का अर्थ होता है — चालीस छंदों वाला स्तोत्र


हनुमान चालीसा का संपूर्ण पाठ

॥ श्री हनुमान चालीसा ॥

श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।

बरनउँ रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि॥

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।

बल बुधि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस विकार॥

॥ चौपाई ॥

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।  

जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥  

राम दूत अतुलित बल धामा।  

अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा॥  

महाबीर बिक्रम बजरंगी।  

कुमति निवार सुमति के संगी॥  

कंचन बरन बिराज सुबेसा।  

कानन कुंडल कुंचित केसा॥  

हाथ वज्र औ ध्वजा बिराजे।  

काँधे मूँज जनेऊ साजे॥  

शंकर सुवन केसरी नंदन।  

तेज प्रताप महा जग वंदन॥  

विद्यावान गुनी अति चातुर।  

राम काज करिबे को आतुर॥  

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।  

राम लखन सीता मन बसिया॥  

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।  

बिकट रूप धरि लंक जरावा॥  

भीम रूप धरि असुर संहारे।  

रामचंद्र के काज संवारे॥  

लाय सजीवन लखन जियाये।  

श्रीरघुबीर हरषि उर लाये॥  

रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।  

तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई॥  

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।  

अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं॥  

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।  

नारद सारद सहित अहीसा॥  

जम कुबेर दिगपाल जहां ते।  

कवि कोबिद कहि सके कहां ते॥  

तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।  

राम मिलाय राजपद दीन्हा॥  

तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।  

लंकेश्वर भए सब जग जाना॥  

जुग सहस्त्र जोजन पर भानू।  

लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥  

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।  

जलधि लांघि गये अचरज नाहीं॥  

दुर्गम काज जगत के जेते।  

सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥  

राम दुआरे तुम रखवारे।  

होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥  

सब सुख लहै तुम्हारी सरना।  

तुम रक्षक काहू को डर ना॥  

आपन तेज सम्हारो आपै।  

तीनों लोक हाँक ते काँपै॥  

भूत पिशाच निकट नहिं आवै।  

महाबीर जब नाम सुनावै॥  

नासै रोग हरै सब पीरा।  

जपत निरंतर हनुमत बीरा॥  

संकट ते हनुमान छुड़ावै।  

मन क्रम वचन ध्यान जो लावै॥  

सब पर राम तपस्वी राजा।  

तिनके काज सकल तुम साजा॥  

और मनोरथ जो कोई लावै।  

सोई अमित जीवन फल पावै॥  

चारों जुग परताप तुम्हारा।  

है प्रसिद्ध जगत उजियारा॥  

साधु संत के तुम रखवारे।  

असुर निकंदन राम दुलारे॥  

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।  

अस बर दीन जानकी माता॥  

राम रसायन तुम्हरे पासा।  

सदा रहो रघुपति के दासा॥  

तुम्हरे भजन राम को पावै।  

जनम जनम के दुख बिसरावै॥  

अंतकाल रघुबर पुर जाई।  

जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई॥  

और देवता चित्त न धरई।  

हनुमत सेइ सर्ब सुख करई॥  

संकट कटै मिटै सब पीरा।  

जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥  

॥ दोहा ॥

जय जय जय हनुमान गोसाईं।  

कृपा करहु गुरुदेव की नाई॥  

जो शत बार पाठ कर कोई।  

छूटहि बंदि महा सुख होई॥  

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।  

होय सिद्धि साखी गौरीसा॥  

तुलसीदास सदा हरि चेरा।  

कीजै नाथ हृदय मह डेरा॥  

Hanuman Chalisa हनुमान चालीसा का अर्थ (संक्षिप्त में)

– हनुमान जी को ज्ञान, बल और भक्ति का स्रोत बताया गया है।  

– यह चालीसा रोग, भय, संकट, नकारात्मक ऊर्जा और दुःख को दूर करने की शक्ति रखती है।  

– भक्तों को विश्वास, ऊर्जा और साहस प्रदान करती है।  

– भगवान श्रीराम की सेवा में उनके समर्पण को दर्शाती है।

हनुमान चालीसा पढ़ने के लाभ

1. संकटों से रक्षा: सभी प्रकार के भय, बाधा और कष्टों से मुक्ति मिलती है।  

2. चित्त की शुद्धि: मानसिक शांति और सकारात्मक सोच का विकास होता है।  

3. आत्मिक बल: साहस, ऊर्जा और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।  

4. भूत-प्रेत बाधा नाश: नकारात्मक शक्तियाँ दूर रहती हैं।  

5. रोग निवारण: नियमित पाठ से शारीरिक रोगों में राहत मिलती है।

Hanuman Chalisa हनुमान चालीसा कब और कैसे पढ़ें?

– मंगलवार और शनिवार को विशेष रूप से हनुमान चालीसा का पाठ किया जाता है।  

– सूर्योदय या सूर्यास्त के समय **साफ मन और स्थान** पर बैठकर पाठ करें।  

– घी का दीपक जलाएं और हनुमान जी की मूर्ति/चित्र के सामने पाठ करें।  

– नियमपूर्वक 40 दिनों तक पाठ करने से विशेष फल प्राप्त होता है।

निष्कर्ष

हनुमान चालीसा न केवल एक स्तोत्र है, बल्कि यह एक शक्तिशाली आध्यात्मिक साधना है जो व्यक्ति को दुखों से मुक्ति और जीवन में उत्साह प्रदान करती है। इसकी नियमित उपासना से मन, वचन और कर्म में सामंजस्य आता है और जीवन में भगवान की कृपा प्राप्त होती है।