भारतीय सनातन धर्म का ज्ञान अपार, गहन और विस्तृत है। वेदों को इसकी मूल जड़ माना जाता है, किन्तु आम जनमानस के लिए इस ज्ञान को सरल भाषा और रोचक कथाओं के माध्यम से उपलब्ध कराने का कार्य महापुराणों ने किया है। हिन्दू धर्म में 18 महापुराण (18 Mahapuran Katha) अत्यंत महत्वपूर्ण माने गए हैं, जिनमें धर्म, कर्म, भक्ति, नीति, ब्रह्मज्ञान, तंत्र, योग, संस्कार, समाज व्यवस्था और मोक्ष का मार्ग विस्तारपूर्वक वर्णित है। इन महापुराणों की रचना ऋषियों द्वारा की गई है और ये भगवान के विभिन्न रूपों की महिमा को दर्शाते हैं।


महापुराण क्या हैं?

‘पुराण’ शब्द का अर्थ है — पुराना या प्राचीन, लेकिन इसके पीछे छिपा भाव है — प्राचीन ज्ञान जो सदा नया बना रहता है। पुराणों में पांच लक्षण होते हैं:

  1. सर्ग (सृष्टि की उत्पत्ति)
  2. प्रतिसर्ग (सृष्टि की पुनर्रचना)
  3. वंश (देवताओं व ऋषियों के वंश)
  4. मन्वंतर (मनुओं का काल)
  5. वंशानुकीर्ति (राजाओं की वंश परंपरा)

18 महापुराणों की सूची और संक्षिप्त विवरण

1. ब्रह्मपुराण

ब्रह्माजी द्वारा रचित यह पुराण ब्रह्मा, विष्णु और शिव की महिमा का वर्णन करता है। इसमें तीर्थों का वर्णन, धार्मिक कर्तव्यों और योग-साधना के विषय भी शामिल हैं।

2. पद्मपुराण

यह पुराण श्रीहरि विष्णु को समर्पित है। इसमें सृष्टि की उत्पत्ति, धार्मिक अनुष्ठानों, तीर्थों और भक्ति मार्ग का विस्तार है। इसके अनुसार सत्कर्म और भगवान का स्मरण मोक्ष का माध्यम हैं।

3. विष्णुपुराण

भगवान विष्णु की लीलाओं का अद्भुत विवरण इसमें मिलता है। इसमें पृथ्वी की उत्पत्ति, भगवान की दस अवतार और कालचक्र की चर्चा की गई है।

4. शिवपुराण

भगवान शिव की महिमा से युक्त यह पुराण शिवभक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसमें शिवलिंग की उत्पत्ति, पार्वती विवाह, गणेश और कार्तिकेय की कथा, और भस्म-विभूति आदि का उल्लेख है।

5. भागवत पुराण

श्रीमद्भागवत पुराण विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण की लीलाओं पर केंद्रित है। इसमें भक्ति योग, प्रह्लाद, ध्रुव, अम्बरीष जैसे भक्तों की कथा और कृष्ण जन्म से महाभारत तक की घटनाएँ वर्णित हैं। यह पुराण भक्तिमार्ग का सार है।

6. नारद पुराण

इसमें नारद मुनि द्वारा धर्म, भक्ति और ज्ञान का विस्तार से वर्णन है। यह पुराण सात्विक माने जाते हैं और वेदों के सार को सरल रूप में प्रस्तुत करता है।

7. मार्कण्डेय पुराण

यह पुराण ऋषि मार्कण्डेय के नाम पर है। इसमें देवी दुर्गा की महिमा, दुर्गासप्तशती, मन्वंतर वर्णन और धार्मिक अनुशासन प्रमुख विषय हैं।

8. अग्नि पुराण

अग्निदेव द्वारा बताया गया यह पुराण अग्निहोत्र, यज्ञ, आयुर्वेद, ज्योतिष, वास्तुशास्त्र, और राजनीति पर भी प्रकाश डालता है। यह ज्ञान का व्यावहारिक मार्ग दर्शाता है।

9. भविष्य पुराण

इसका नाम “भविष्य” इसलिए है क्योंकि यह आगामी युगों, कलियुग के लक्षण, म्लेच्छों के आगमन और कल्कि अवतार की भविष्यवाणी करता है। यह पुराण ऐतिहासिक घटनाओं से भी जुड़ा माना जाता है।

10. ब्रह्मवैवर्त पुराण

इस पुराण में राधा-कृष्ण लीला, गणेश जी की उत्पत्ति, प्रकृति-पुरुष सिद्धांत और धार्मिक संस्कारों की व्याख्या की गई है। इसमें श्रीकृष्ण को परब्रह्म कहा गया है।

11. लिंग पुराण

यह पुराण भगवान शिव के लिंग रूप की महिमा पर केंद्रित है। इसमें सृष्टि की प्रक्रिया, विष्णु-शिव संवाद और योग-ध्यान की विधियाँ हैं।

12. वराह पुराण

भगवान विष्णु के वराह अवतार से संबंधित इस पुराण में पृथ्वी की रक्षा की कथा प्रमुख है। इसमें तीर्थों, पर्वों, और दान-पुण्य की जानकारी दी गई है।

13. स्कंद पुराण

यह सबसे विशाल महापुराण है। इसमें स्कंद कुमार (कार्तिकेय) की कथा, तीर्थ यात्रा महिमा, काशी महात्म्य, शिव भक्ति, और धर्म संबंधी अनेक विवरण हैं।

14. वामन पुराण

यह भगवान विष्णु के वामन अवतार पर आधारित है। इसमें बली का दान, त्रिविक्रम रूप और विष्णु के महात्म्य का वर्णन किया गया है।

15. कूर्म पुराण

यह पुराण भगवान विष्णु के कूर्म अवतार (कच्छप रूप) में बताए गए उपदेशों पर आधारित है। इसमें योग, ध्यान, कर्मकांड, और तंत्र की बातें भी हैं।

16. मात्स्य पुराण

भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार पर आधारित यह पुराण प्रलय कथा, सृष्टि आरंभ, राजधर्म, पुराणों की उत्पत्ति, और वास्तु विद्या को भी समाहित करता है।

17. गर्भ पुराण

यह पुराण जीवात्मा के गर्भ में आगमन, पूर्व जन्म के कर्म, और मृत्यु के बाद आत्मा की गति का वर्णन करता है। यह जीवन और मृत्यु के बीच की आध्यात्मिक यात्रा को समझाता है।

18. ब्रह्मांड पुराण

इसमें ब्रह्मांड की संरचना, सप्तलोकों का विवरण, युगों की गणना, और धर्म के सिद्धांत बताए गए हैं। यह पुराण गूढ़ विज्ञान और ब्रह्मज्ञान से परिपूर्ण है।


महापुराणों का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

  • ये पुराण धर्म का मार्गदर्शन, नैतिक शिक्षा, और आध्यात्मिक उन्नति के लिए आवश्यक हैं।
  • वेदों को आमजन के लिए सुलभ बनाने का कार्य इन्होंने किया।
  • इसमें तीर्थों, पर्वों, संस्कारों और अनुष्ठानों की जानकारी है, जिससे हिन्दू जीवनशैली संरचित होती है।
  • प्रत्येक पुराण किसी एक विशेष देवता की महिमा पर केंद्रित है, जिससे इष्ट उपासना को दिशा मिलती है।
  • ये ग्रंथ संस्कृति, इतिहास, साहित्य, और कला के विकास में भी योगदान देते हैं।

निष्कर्ष

18 महापुराण (18 Mahapuran Katha) न केवल हिन्दू धर्म के आधार स्तंभ हैं, बल्कि ये जीवन को समझने, जीने और परम सत्य की ओर बढ़ने के अमूल्य साधन हैं। इनमें केवल धर्म नहीं, बल्कि इतिहास, नीति, समाजशास्त्र, आध्यात्मिक मार्गदर्शन, और मानव जीवन का दर्शन समाहित है। आधुनिक जीवन की आपाधापी में इन पुराणों का अध्ययन हमें आत्मिक शांति, नैतिक बल और आस्था प्रदान करता है।

यदि आप सनातन धर्म की गहराइयों में उतरना चाहते हैं, तो इन महापुराणों का अवश्य अध्ययन करें — यह आपके जीवन को अर्थपूर्ण और दिव्य बना देगा।